Yoga for Memory: आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में भूलने की आदत आम हो गई है। स्टूडेंट्स, नौकरीपेशा लोग और यहां तक कि घर संभालने वाले भी कभी न कभी मेमोरी कमजोर होने की समस्या से जूझते हैं। ऐसे में योग और मेडिटेशन न केवल दिमाग़ को शांत करते हैं बल्कि याददाश्त (Memory) भी बेहतर बनाते हैं।
योग और मेमोरी का कनेक्शन
योग और प्राणायाम दिमाग़ तक अधिक ऑक्सीजन और ब्लड फ्लो पहुंचाते हैं। इससे हिप्पोकैम्पस हिस्सा एक्टिव होता है, जो याददाश्त और लर्निंग को नियंत्रित करता है। साथ ही, योग तनाव (Stress) को कम करता है और फोकस बढ़ाता है। अच्छी नींद दिलाने में भी योग मददगार है और नींद की क्वालिटी का सीधा असर मेमोरी पर पड़ता है।
स्ट्रेस और दिमाग़ पर असर
जब हम लगातार तनाव में रहते हैं, तो दिमाग़ की कोशिकाएं (Brain Cells) कमजोर हो जाती हैं। इसका असर ध्यान केंद्रित करने और याद रखने की क्षमता पर पड़ता है। मेडिटेशन इस तनाव को कम करता है, जिससे दिमाग़ रिलैक्स होता है और सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है।
मेडिटेशन कैसे मदद करता है?
मेडिटेशन का मतलब है कुछ देर शांति में बैठकर सांसों पर ध्यान देना। इससे
हिप्पोकैम्पस की एक्टिविटी बढ़ती है
नर्वस सिस्टम शांत होता है
फोकस और कंसंट्रेशन में सुधार होता है
नकारात्मक विचार कम होते हैं
योगासन और प्राणायाम
कुछ खास आसन और प्राणायाम मेमोरी और एकाग्रता को बढ़ाते हैं:
अनुलोम-विलोम और कपालभाति: ब्रेन सेल्स को एक्टिव रखते हैं।
वृक्षासन और ताड़ासन: फोकस और संतुलन को बेहतर बनाते हैं।
पश्चिमोत्तानासन: मन और शरीर को शांत करता है।
रिसर्च भी मानती है असरदार
कई वैज्ञानिक रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि योग और मेडिटेशन करने वाले लोगों की मेमोरी और लर्निंग क्षमता दूसरों से बेहतर होती है। यहां तक कि यह प्रैक्टिस बुजुर्गों में अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा भी कम कर सकती है।
कौन कर सकता है योग और मेडिटेशन?
इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसे कोई भी कर सकता है, बच्चे, युवा या बुजुर्ग। रोज़ाना 15–20 मिनट मेडिटेशन और 20–25 मिनट योग से ही मेमोरी और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार देखा जा सकता है।
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