Drug Research Rules 2025: दवा उद्योग और क्लिनिकल रिसर्च को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019 में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी गजट ऑफ इंडिया (28 अगस्त 2025) की अधिसूचना में इन मसौदा नियमों पर आम जनता, शोधकर्ताओं और दवा कंपनियों से 30 दिन के भीतर सुझाव मांगे गए हैं।
सरकार का कहना है कि इन सुधारों से भारत न केवल फार्मा रिसर्च का हब बनेगा बल्कि दवाओं की उपलब्धता और परीक्षण की प्रक्रिया भी आसान होगी।
क्या होंगे बदलाव?
अब अधिकतर दवाओं के लिए अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ सूचना देना काफी होगा।
हाई-रिस्क दवाओं के लिए ही लाइसेंस अनिवार्य रहेगा।
टेस्ट लाइसेंस की मंजूरी का समय 90 दिन से घटाकर 45 दिन किया जाएगा।
कुछ कैटेगरी की BA/BE (बायोअवेलेबिलिटी/बायोइक्विवेलेंस) स्टडी के लिए अब केवल सूचना देनी होगी, अलग लाइसेंस जरूरी नहीं होगा।
क्यों अहम है यह कदम?
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस कदम से:
लाइसेंस से जुड़ी फाइलें 50% तक घटेंगी।
नई दवाओं पर रिसर्च और ट्रायल तेजी से शुरू होंगे।
CDSCO (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन) अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग कर पाएगा।
भारत को फार्मा रिसर्च और दवा निर्माण में वैश्विक पहचान मिलेगी।
सरकार का दावा है कि इन सुधारों से फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री और रिसर्च दोनों को नई रफ्तार मिलेगी।
सुझाव देने के लिए 30 दिन
सरकार ने आम नागरिकों, शोधकर्ताओं और कंपनियों से कहा है कि वे अगले 30 दिनों के भीतर अपने सुझाव और आपत्तियां दर्ज करें। इसके बाद इन प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जाएगा। यह कदम दिखाता है कि सरकार इंडस्ट्री और आम लोगों की राय लेकर एक पारदर्शी और व्यावहारिक प्रक्रिया बनाना चाहती है।
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